गार्सा द तासी ने हिंदी का प्रथम कवि किसको माना है?
क्या आप जानते हैं कि फ्रांसीसी विद्वान गार्सा द तासी ने हिंदी के प्रथम कवि के रूप में किसका उल्लेख किया है? यदि नहीं, तो इस लेख में हम आपको इसका उत्तर देंगे।
गार्सा द तासी एक प्रसिद्ध फ्रांसीसी विद्वान थे, जिन्होंने हिंदी भाषा और साहित्य के इतिहास को संरचित करने का प्रयास किया। उन्होंने हिंदी के व्याकरण को मानक रूप में प्रस्तुत करने के साथ-साथ इसका पहला इतिहास भी लिखा, जो फ्रांसीसी भाषा में था। उनकी महत्वपूर्ण कृति "इत्स्वार द ल लितरेत्यूर ऐन्दुई ए ऐन्दुस्तानी" दो भागों में, 1839 और 1847 में प्रकाशित हुई थी।
गार्सा द तासी ने हिंदी के प्रथम कवि को लेकर कोई स्पष्ट विचार प्रस्तुत नहीं किया किन्तु उनके द्वारा रचित इतिहास ग्रंथ में कवियों को वर्णानुक्रम पद्धति से सूचीबद्ध किया गया है। इस सूची में अंगद को प्रथम कवि और हेमंत को अंतिम कवि के रूप में स्थान दिया गया है।
"इत्स्वार द ल लितरेत्यूर ऐन्दुई ए ऐन्दुस्तानी" में कुल 738 साहित्यकारों का उल्लेख है, जिनमें हिंदी के केवल 72 लेखक शामिल हैं। यह ग्रंथ कुल 24 अध्यायों में विभाजित है और इसमें कवियों को वर्णानुक्रम पद्धति के अनुसार स्थान दिया गया है।
गार्सा द तासी ने हिंदी के प्रथम कवि को लेकर कोई ठोस निर्णय नहीं दिया, लेकिन उनके ग्रंथ के अनुसार अंगद को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। हिंदी साहित्य के इतिहास को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करने में उनका योगदान महत्वपूर्ण माना जाता है।
हिंदी में लिखा गया हिन्दी साहित्य का प्रथम इतिहास शिवसिंह सेंगर कृत शिवसिंह सरोज है। शिवसिंह सरोज 1877 में प्रकाशित हुआ था।
अंग्रेजी में लिखा गया हिन्दी साहित्य का प्रथम इतिहास सर जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन कृत द मॉडर्न वर्नाक्युलर लिटरेचर ऑफ हिन्दुस्तान है जो 1889 में प्रकाशित हुआ था।
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