Surdas ke guru ke naam kya tha
Q. सूरदास के गुरु कोन थे ?
A. राम
B. रहीम
C. वल्लभाचार्य
D. शुक्राचार्य
Answer - वल्लभाचार्य
सूरदास भारत के सबसे प्रसिद्ध कवियों में से एक थे। वह जन्म से ही अंधा था। अंधे होने के कारण, उन्हें अपने ही परिवार के सदस्यों द्वारा भी उपेक्षित किया गया था। उन्होंने बहुत कम उम्र में अपना घर छोड़ दिया और यमुना नदी के तट पर भगवान कृष्ण के लिए भक्ति गीत लिखना शुरू कर दिया। उनकी गहरी और हार्दिक कविताओं के कारण उन्हें भक्त कवि सूरदास के नाम से भी जाना जाता है।
सूरदास का जन्म - 1478 ई.
सूरदास का निधन -1579 ई.
सूरदास के गुरु का नाम वल्लभाचार्य था और वल्लभाचार्य के आठ शिष्यों में से प्रमुख थे। सूरदास जी द्वारा रचित कुल पांच ग्रंथ उपलब्ध हैं, जो निम्नलिखित हैं: सूर सागर, सुर सारावली, साहित्य लाहिड़ी, नल दमयंती और ब्याहलो। इनमें से नल दमयंती और ब्याहलो की कोई प्राचीन प्रति नहीं मिली है। सूर सागर इस कवि की सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त रचनाओं में से एक है। यह भगवान कृष्ण और राधा की कहानी का वर्णन करता है।
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सूरदास ने सूर सागर के लिए हज़ारों कविताएँ लिखीं और लिखीं, लेकिन वर्तमान अभिलेखों में उनमें से केवल 8000 ही संरक्षित हैं। सूरदास ने इन भक्ति गीतों और कविताओं को ब्रज भाषा में लिखा था।
सूरदास हिन्दी की कृष्ण भक्ति शाखा के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं। जिस प्रकार राम भक्तों के कवियों में गोस्वामी तुलसीदास को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है, उसी प्रकार सूरदास को कृष्ण के कवियों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। दरअसल, ये दोनों कवि हिंदी कविता के 'चंद्र' (चंद्रमा) और 'सूर्य' (सूर्य) हैं।
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